Tuesday, September 1, 2020

बातें- मुलाकातें: 14 ( शोभना नारायण )

विश्वख्यिात कथक नृत्यांगना पद्मश्री शोभना नारायण उन सक्षम लोगों में से एक हैं, जो जिस क्षेत्र में कदम रखते हैं, उनमें ही नए-नए आयाम गढ़ते हैं. वह एक क्लासिकल डांसर हैं, बैले डांस और टैप डांस जैसी वेस्टर्न डांस आर्ट के साथ कोलिब्रेट कर दुनिया भर में दर्जनों सफल डांस शो कोरियोग्राफर हैं, नृत्य प्रशिक्षिका हैं, अभिनेत्री हैं, नृत्य के विभिन्न आयामों पर दस से ज्यादा पुस्तकें लिख चुकी लेखिका हैं और इस सबके साथ-साथ वह एक सीनियर सरकारी अफसर भी रही हैं और नौकरी व कला के बीच जबर्दस्त संतुलन साधते हुए निरंतर आगे बढ़ती रही हैं.

मेरी शोभना जी से मुलाकात एक इंटरव्यू के लिए ही हुई थी. निर्धारित समय पर मैं लोधी गार्डन एरिया में उनके आॅफिस जा पहुँचा. वहाँ उन्होंने बड़ी गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया. इंटरव्यू के लिए जो कुछ पूछना था, वह तो पूछा ही, लेकिन मेरे जिस सवाल से वह सबसे ज्यादा खुश हुई वह यह था कि कला और ब्यूरोक्रेसी, इन दो नावों की सवारी एक साथ करते हुए क्या उन्हें बीच में गिर जाने का डर नहीं लगता. इस पर उन्होंने कहा कि आज तक किसी ने उनसे ऐसा सवाल नहीं पूछा और वे दो नहीं बल्कि तीन नावों ( परिवार भी) की सवारी कर रही हैं और उन्हें खुद नहीं पता कि वह यह सब कैसे मैनेज कर लेती हैं.

यह उनके व्यवहार की मधुरता और स्वभाव की मिलनसारिता ही थी कि इंटरव्यू के बाद भी हम काफी देर साथ बैठे और इधर-उधर की बातें करते रहे. उन्होंने अपनी कई प्रतिभाशाली शिष्याओं के बारे में बताया कि आप चाहें तो इनका भी इंटरव्यू कर सकते हैं. फिर तभी उनकी एक फिल्म अकबर‘स ब्रिज के प्रोड्यूसर मनोहर आशी वहाँ आ पहुँचे. उस समय यह फिल्म बन ही रही थी. शोभना जी ने उनसे मेरा परिचय कराया और फिर मुझे एक अनसुनी कहानी जानने को मिली कि किस तरह 1556 में अकबर बादशाह, औलाद की चाह में जौनपुर में गोमती के किनारे एक मस्जिद बनाना चाहते थे, लेकिन एक कुम्हार स्त्री ( इसकी भूमिका शोभना जी ने की थी) ने जब उनसे कहा कि इस इलाके के लोगों को मस्जिद से ज्यादा पुल की जरूरत है तो उन्होंने मस्जिद बनाने का इरादा छोड़कर वहाँ रहने वालों के लिए पुल का निर्माण कराया.  आशी ने बताया कि इस भूमिका के लिए शोभना जी ने बहुत मेहनत की है और उन्होंने अपने रोल को रीयल बनाने के लिए कुम्हार परिवार के साथ काफी वक्त बिताया था. 

आशी और शोभना जी चाहते थे कि मैं उस फिल्म के बारे में लिखूँ, लेकिन कुछ वजहों से यह संभव नहीं हो पाया. पर शोभना जी से मेरे सम्पर्क बाद में भी कई साल तक बने रहे और मुझे जब भी किसी खास विषय पर बात करनी होती, मैं बेहिचक उन्हें फोन कर दिया करता और वे भी बिना किसी टाल-मटोल के मुझे वक्त और सहयोग देतीं. 

आज उनका जन्मदिन है, इस मौके पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं... 

interview


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