जर्नलिज्म के एथिक्स की जब भी बात चलती है, मुझे एक प्रोड्यूसर से जुड़ा किस्सा याद आ जाता है. उस समय नए-नए पत्रकार बने थे अपुन, तो जोश और आदर्शवाद कूट-कूट कर भर चुका था. हमारी तरह ही एक नए-नए डायरेक्टर-प्रोड्यूसर बने थे श्रीमान एक्स ( नाम न ही पूछें तो बेहतर होगा, आजकल बहुत बड़ी तोप बन चुके हैं.)
Friday, July 24, 2020
बातें-मुलाकातें: 5 ( इस बार भी नाम न पूछो )
Sunday, July 12, 2020
बातें-मुलाकातें: 4 (नाम न पूछो)
एक बड़े प्रसिद्ध गायक हैं. अपने दौर में वे और भी ज्यादा प्रसिद्ध थे. जैसे शिकारी शिकार ढूंढता फिरता है, वैसे ही हम फ्री-लांस जर्नलिस्ट की तरह सेलिब्रिटीज ढूंढते हैं. ऐसे ही ढूंढते-ढूंढते पता चला कि वह गायक एक स्टारनाइट के लिए दिल्ली आए हैं, जहाँ प्रोग्राम के बाद वह होटल रंजीत में ठहरने वाले थे. मैंने होटल में फोन लगाया और बताया कि मैं आपका इंटरव्यू करना चाहता हूँ. उन्होंने सुबह-सुबह आठ बजे बुला लिया. मैंने अपने सहपाठी और उस समय रूममेट रहे पं. उमेश चतुर्वेदी जी को इस बारे में बताया और तय हुआ कि साथ ही चला जाए.
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Sunday, July 5, 2020
बातें-मुलाकातें: 3 (एम.एस. सथ्यू)
साल 2002 की शुरुआत. दिल्ली की सर्दियां और मौका वही सीरीफोर्ट का इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल. एक दिन घूमते-घूमते एक लंबी, दुबली-पतली काया, सिर पर सफेद झक बाल और उतनी ही सफेद दाढ़ी. समांतर सिनेमा और फिल्म पत्रकारिता में गहरी रुचि होने के कारण, पहचानने में जरा भी देर नहीं लगी कि यह प्रसिद्ध कन्नड़ फिल्मकार मैसूर श्रीनिवास हैं. नहीं समझे ना, अरे वही जो एम.एस.सथ्यू के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध हैं.
अगर आपने 2013 का गूगल रियूनियन वाला एड देखा है तो उसमें वह पाकिस्तानी वृद्ध युसूफ की भूमिका में नजर आए हैं. लेकिन वह इसके चालीस साल पहले ही 1973 में आई अपनी पहली ही हिंदी फिल्म गरम हवा के साथ समांतर सिनेमा के सशक्त हस्ताक्षरों में शुमार हो गए थे. उस समय दूरदर्शन पर, तकषी शंकर पिल्लै के उपन्यास पर आधारित, उनका धारावाहिक कयर ( जिसे गलती से कायर समझ लिया जाता था, इसके बारे में भी उन्होंने ही मुझे बताया था कि कयर का मतलब रस्सी होता है. )
मैं तब लोकमत समाचार के फिल्म वार्षिकांक का संयोजन कर रहा था. मुझे उन्हें देखते ही ख्याल आया कि कन्नड़ सिनेमा के बारे में उनसे बात करने का यह अच्छा अवसर है. मैं लपककर उनके पास पहुँच गया और अपना परिचय देते हुए बोला कि क्या मैं आपसे 10-15 मिनट बात कर सकता हूँ? उन्होंने मुझे गौर से देखा और पूछा कि इससे ज्यादा तो नहीं? मैंने कहा, बिल्कुल नहीं. तो मैंने कन्नड़ सिनेमा की स्थिति पर उनसे बातचीत की. थोड़ी बहुत जानकारी मुझे पहले से थी, इसलिए उन्हें कहीं भी ऐसा नहीं लगा कि वे एक अनाड़ी से बात कर रहे हैं. कुल मिलाकर बातचीत काफी अच्छी रही. लेकिन, कहानी खत्म नहीं होती.
वार्षिकी के लिए हम ‘भविष्य का सिनेमा और सिनेमा का भविष्य विषय‘ पर एक परिसंवाद भी आयोजित कर रहे थे. फेस्टिवल के अगले दिन सथ्यु जी जब मुझे दोबारा नजर आए तो मुझे लगा कि मौका चूकना नहीं चाहिए, सिनेमा के इस जीनियस से फिर पता नहीं कब बात हो या न हो. मैं फिर से उनके पास जा पहुँचा और बोला कि मुझे आपके दस-पंद्रह मिनट चाहिए. ‘आपने कल भी यही कहा था?’’ उन्होंने मुझे घूरते हुए कहा. ‘‘ मैं आज भी कल से ज्यादा समय नहीं लूँगा.’’ मैंने बेझिझक जवाब दिया और फिर से बात शुरू हो गई. आज उनका 90 वां जन्मदिन है, इस मौके पर हम उनके दीर्घायु होने की कामना करते हैं. दोनों बार की बातचीत यहाँ हाजिर है, चाहे तो आप भी पढ़ सकते हैं.
interview
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Wednesday, July 1, 2020
बातें—मुलाकातें : 2 (पवन मल्होत्रा)
इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल एक ऐसा मौका होता है, जहाँ आठ-दस दिनों में बहुत सारी फिल्मी हस्तियां एक ही जगह पर मिल जाती हैं. गोवा जाने से पहले यह आयोजन हर तीसरे साल दिल्ली के सीरीफोर्ट के आॅडिटोरियम्स में हुआ करता था. तीनो आॅडिटोरियम के बीच इतना फासला था, जिसे तय करते हुए किसी न किसी से मुलाकात हो ही जाती थी. ऐसे ही एक मौके पर मुझे पवन मल्होत्रा मिल गए. ब्राउन कलर का चमकीला ब्लेजर और व्हाइट पैंट....उस समय उनका बाघ बहादुर और नुक्कड़ की वजह से काफी नाम था... और मेरा नवभारत टाइम्स में अपने काॅलम 'मेरा सपना' की वजह से. मैंने उन्हें जाकर अपना परिचय दिया और कहा कि मैं आपका इंटरव्यू करना चाहता हूँ.
पवन ने कहा कि आप कर सकते हैं, लेकिन मैं पहले ही आपको बता देता हूँ कि मुझसे आपको अच्छी काॅपी नहीं मिलने वाली. मैं उस समय काफी मुंहफट था, बोल दिया कि आपने हँस के नीर-क्षीर विवेक के बारे में तो सुना ही होगा, तो आप सिर्फ मेरे सवालों के जवाब देते जाइए, जो काम की चीजें होंगी, मैं खुद छाँट लूँगा. उस वक्त वह चाय का कप हाथ में लिए हुए थे. उन्होंने मुझसे पूछा कि आप कुछ पीएंगे, चाय या काॅफी? मैंने विनम्रता से मना कर दिया. फिर वहीं खड़े-खड़े उनसे करीब 15 मिनट बात हुई.
उनके डराने के बावजूद इंटरव्यू काफी अच्छा रहा. कई साल बाद जब उनका नंबर मिला तो मैंने उन्हें भी इस इंटरव्यू की काॅपी व्हाट्स एप्प पर भेजी, तो उन्हें बहुत अच्छा लगा. आज उनका जन्मदिन है, अच्छी बात यह है कि वे आज भी उसी पुरानी ऊर्जा के साथ लगातार सक्रिय हैं. यह सक्रियता और ऊर्जा लगातार बनी रहे, इसी शुभकामना के साथ यह इंटरव्यू यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ. आप भी पढ़िए और उनके साथ हवा में उड़ते हुए जमीन की हरियाली का दीदार कीजिए....
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