Saturday, August 8, 2020

बातें—मुलाकातें : 7 (गीतकार संदीप नाथ )

किसी से रूबरू हुए बिना भी अच्छी दोस्ती हो सकती है. हिंदी फिल्मों के जाने—माने गीतकार संदीप नाथ इसकी एक बेहतरीन मिसाल हैं, जिनसे मेरी मित्रता करीब ​पंद्रह साल पुरानी है. हमारे एक साझा मित्र हैं, कुमार अतुल जो कि अमर उजाला के देहरादून संस्करण में समाचार संपादक हैं. उन्होंने एक बार संदीप नाथ के बारे में बताया और कहा कि तुम्हें संदीप से बात करनी चाहिए, क्योंकि तुम्हारे नाम ही नहीं और भी कई चीजें आपस में मिलती हैं.

ये चीजें थीं, हमारे मूल निवास, वे बिजनौर में पले—बढ़े और पढ़े हैं और मैं बिजनौर से करीब 50 किलोमीटर दूर के कस्बे मंडी धनौरा में. वे भी स्थापित कवि हैं और मैं शौकिया, वे पत्रकार रह चुके हैं, मैं पत्रकारिता कर रहा हूँ... वगैरह—वगैरह. जाहिर है कि मन में उत्सुकता होनी ही थी.
बिना झिझक के अतुल भाई के दिए नंबर पर कॉल लगा दिया और पहली बार में जितना गर्मजोशी भरा रिस्पॉन्स मिला, उसने हमारी मित्रता के दरवाजे खोल दिए. इसके बार के डेढ़ दशकों में हमारी सैकड़ों बार फोन पर बातें हुईं और वह भी काफी—काफी देर. लेकिन, बार—बार मुलाकातों का योग बनते—बनते रह जाता. और यह योग बिना करीब एक साल पहले. जब संदीप नागपुर महानगर निगम के एक कार्यक्रम में बतौर ​विशिष्ट अतिथि नागपुर आए थे.

चित्र में ये शामिल हो सकता है: Sandeep Nath, बाहर
आगे बढ़ने से पहले कुछ बातें संदीप नाथ के बारे में... ​कितने अजीब रिश्ते हैं यहाँ (पेज 3), सिकंदर ओ सिकंदर ( फैशन), यूं शबनमी पहले नहीं थी चाँदनी (सांवरिया) जैसे मधुर गीतों और आशिकी 2 के 'सुन रहा है ना तू...' जैसे सुपर—डुपर हिट गीत के रचनाकार संदीप की कविता और गजलों के आधा दर्जन से ज्यादा संकलन प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने डीएनए में गाँधी नाम की एक सोशल सैटायर मूवी का निर्माण—निर्देशन भी किया है और हाल ही में एक गायक के तौर पर अपनी नई पारी का आगाज किया है सूफी गाने रंगरेज से, जिसका वीडियो यूट्यूब पर धूम मचा रहा है और इसे दो लाख बारह हजार से ज्यादा बार देखा जा चुका है,
(आप भी https://www.youtube.com/watch?v=BNOnvhQHvjs पर विजिट करके देख सकते हैं, लाइक कीजिए और शेयर कीजिए. ).
अब मुलाकात पर लौटते हैं. संदीप नाथ नागपुर में हैं, यह बात मुझे अचानक ही तब पता चली, जब मैं यह कार्यक्रम कवर करने गया और मंच पर अतिथियों के परिचय में उनका नाम भी पुकारा गया. सुनकर बहुत गुस्सा आया कि भाई नागपुर में हैं और मुझे बताना भी जरूरी नहीं समझा. सोचा कि अब मैं भी बात नहीं करूंगा. लेकिन फिर ख्याल आया कि मन में गुस्सा रखने की बजाए, फोन करके शिकायत करना ज्यादा बेहतर है.
कार्यक्रम खत्म होने के बाद उन्हें फोन लगाया और जितना गिला कर सकता था, जम के किया. इस पर संदीप ने इतनी बार अफसोस प्रकट किया कि मुझे अपने गुस्से पर गुस्सा आने लगा और एक सबक भी सीखने को मिला कि हमें कभी भी ईगो को रिश्तों के आड़े नहीं आने देना चाहिए. अगर मैं इस बात को दिल से लगाता तो खामख्वाह एक अच्छा—भला आत्मीय रिश्ता औपचारिक रिश्ते में बदल जाता.
बहरहाल, मिलने के लिए शाम का वक्त तय हुआ और मैं अपने एक और हमनाम मित्र संदीप अग्रवाल जी, जो कि एक प्रतिष्ठित व्यवसायी, जननेता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, के साथ संदीप नाथ से मिलने जा पहुँचा. संदीप अभी रास्ते में ही थे. हम होटल की लॉबी में इंतजार करने लगे. कुछ देर बाद उनका आगमन हुआ. साथ में एक व्यक्ति और था. लिफ्ट में जब हम उनके साथ ऊपर रूम में जा रहे थे तो मैंने मजाक किया कि आज पहली बार मैं तीन संदीप को एक साथ देख रहा हूँ तो उन्होंने बताया कि उनके साथ वाले सज्जन का नाम भी संदीप ही है.
वह चौथे संदीप थे, मराठी अभिनेता संदीप कुलकर्णी. (डोम्बिली फास्ट और श्वास फेम). इस ​इत्तेफाक से हम सब बहुत आनंदित हुए. इसके बाद संदीप के रूम में अगले दो घंटों में गिले—शिकवों और मनव्वलों के एक और दौर के बाद अलग—अलग मुद्दों पर ढेर सारी बातें हुईं, जिनका यहाँ जिक्र करना संभव नहीं है. लेकिन जिस बात का जिक्र सबसे ज्यादा जरूरी है वह यह है कि आज संदीप नाथ का जन्मदिन है. इस मौके पर उन्हें ढेर सारी बधाई और एक उज्जवल भविष्य व सफलता की हार्दिक शुभकामनाएं.

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