Sunday, March 14, 2021

बातें-मुलाकातेंः 47(इला अरुण)

आप इला अरुण को बहुत सारी चीजों के लिए याद कर सकते हैं. मोरनी बागा में बोले (लम्हे), चोली के पीछे क्या है (खलनायक) जैसे गीतों के लिए भी, कई रीयलिटी म्यूजिक शो की जज के रूप में भी और जोधा अकबर में अकबर की धाय माँ जैसी ऑनस्क्रीन भूमिकाओं के लिए भी. 



इला अरुण से मेरी मुलाकात उस समय हुई थी, जब देश में पॉप और पॉप में फॉक म्युजिक अपने सबसे बेहतरीन दौर में था और इला इस दौर के स्टार परफॉमर्स में शुमार थीं. उनका एलबम वोट फॉर घाघरा दिल्ली में रिलीज किया जाना था, जिसका टाइटिल सॉन्ग ही ‘अरे दिल्ली शहर मा मारो घाघरा चे घुम्यो... पहले सही धूम मचा रहा था. 

रिलीज वाले दिन इला सुबह-सुबह ही दिल्ली आ चुकी थीं और एक पाँच सितारा होटल में ठहरी हुई थीं. मैंने उन्हें फोन किया और उन्होंने बिना कोई नखरा दिखाए मुझे बातचीत के लिए बुला लिया. 

मैंने जितनी भी हस्तियों से बात या मुलाकात की है, सबका कम से कम नब्बे प्रतिशत मुझे याद रहा है. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इला से हुई इस पूरी मुलाकात का नब्बे फीसदी हिस्सा मेरी यादों से मिट चुका है. सिर्फ इतना याद है कि जब मैं होटल के रूम में था तो वे हवा के झोंके सी लहराती हुई वहाँ अवतरित हुई थीं, जैसे कि वे इंटरव्यू देने नहीं, बल्कि स्टेज पर परफॉर्म करने वहाँ पहुँची हों. 

आज इला का 67 वें जन्मदिन के मौके पर उन्हें हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं. 

इंटरव्यू हाजिर है, आप भी आनंद लीजिए.


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