Monday, December 7, 2020

बातें—मुलाकातें:33 (कुमार शाहनी)

अगर आपने तरंग, कस्बा, खयालगाथा, मायादर्पण जैसी फिल्मों का नाम नहीं सुना है तो मुमकिन है कि आपने कुमार शाहनी का नाम भी न सुना हो. ये वे फिल्में हैं, जिनमें से पहली को नेशनल अवार्ड, दूसरी व तीसरी को फिल्मफेअर और चौथी को ये दोनो अवार्ड मिलें हैं.



1865 से 2005 तक के चार दशकीय कैरियर में उन्होंने कुल जमा पांच फीचर फिल्में, दस शॉर्ट्स और एक बायोग्राफिकल डॉक्यूमेंट्री भावांतरण बनाई है, जो ओडिशी नृत्य सम्राट केलुचरण महापात्रा पर आधारित थी और उसे बेस्ट बायोग्राफिकल फिल्म का नेशनल अवार्ड भी मिला. शाहनी साहब ने बेशक कम काम किया है, लेकिन जितना भी किया है वह असाधारण है. यही वजह है कि जब भी पैरेलल सिनेमा मूवमेंट की बात चलती है, उनका नाम इसके सर्वाधिक सशक्त हस्ताक्षरों में शुमार किया जाता है.
उनसे मेरी मुलाकात इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के मौके पर ही हुई थी. जगह थी दिल्ली के सीरीफोर्ट आॅडिटोरियम का प्रांगण. ​फेस्टिवल का आखिरी दिन था. रात के आठ बज चुके थे और मैं वापस लौट रहा था. तभी मैंने उन्हें एक कोने में मद्धिम रोशनी में चाय की चुस्कियां लेते हुए देखा. मैंने वहाँ पहुंचकर उनका अभिवादन किया और अपना परिचय दिया. वह बड़ी विनम्रता के साथ मिले. उन्होंने मुझसे पूछा कि मैंने फेस्टिवल में कौन—कौन सी मूवीज देखी हैं, कौन सी ज्यादा अच्छी लगीं, वगैरह—वगैरह. बातचीत के दौरान मैंने उनसे पूछा कि आजकल वे क्या कर रहे हैं तो उन्होंने बताया कि वे रवीन्द्र नाथ टैगोर के उपन्यास पर चार अध्याय नाम की एक फिल्म बना रहे हैं.
साहित्य और समांतर सिनेमा में मेरी बहुत ज्यादा रुचि थी, मुझे यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि वे दोनों को एक साथ ​ला रहे हैं. मैंने उनसे कहा कि मैं उनका इंटरव्यू करना चाहता हूँ. उन्होंने कहा कि वे इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ठहरे हुए हैं और कल दिल्ली में ही हैं. अगर मैं चाहूं तो कल आकर उनका इंटरव्यू कर सकता हूँ.
रात को मैंने नवभारत टाइम्स में बात की तो उन्होंने कहा कि मैनेजमेंट आजकल ग्लैमरस और पॉपुलर लोगों के इंटरव्यू की प्रीफर करता है. इसलिए कुमार शानी का इंटरव्यू अवॉइड ही करूं. क्योंकि ज्यादा संभावना यही है कि वह न छपे. मुझे भी लगा कि क्यों अपना और शाहनी साहब का वक्त बर्बाद करूं, इसलिए इंटरव्यू का ख्याल दिल से निकाल दिया.
इस तरह वह संक्षिप्त मुलाकात हमारी आखिरी मुलाकात साबित हुई.
शाहनी साहब आजकल कहाँ हैं, कैसे हैं, क्या कर रहे हैं, इस बारे में कोई जानकारी मुझे नहीं मिल पाई है. आज उनका 80 वां जन्म दिन है. इस मौके पर उन्हें हार्दिक बधाई और दीर्घ स्वस्थ जीवन के लिए शुभकामनाएं.

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