Sunday, July 5, 2020

बातें-मुलाकातें: 3 (एम.एस. सथ्यू)

साल 2002 की शुरुआत. दिल्ली की सर्दियां और मौका वही सीरीफोर्ट का इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल. एक दिन घूमते-घूमते एक लंबी, दुबली-पतली काया, सिर पर सफेद झक बाल और उतनी ही सफेद दाढ़ी. समांतर सिनेमा और फिल्म पत्रकारिता में गहरी रुचि होने के कारण, पहचानने में जरा भी देर नहीं लगी कि यह प्रसिद्ध कन्नड़ फिल्मकार मैसूर श्रीनिवास हैं. नहीं समझे ना, अरे वही जो एम.एस.सथ्यू के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध हैं.

अगर आपने 2013 का गूगल रियूनियन वाला एड देखा है तो उसमें वह पाकिस्तानी वृद्ध युसूफ की भूमिका में नजर आए हैं. लेकिन वह इसके चालीस साल पहले ही 1973 में आई अपनी पहली ही हिंदी फिल्म गरम हवा के साथ समांतर सिनेमा के सशक्त हस्ताक्षरों में शुमार हो गए थे. उस समय दूरदर्शन पर, तकषी शंकर पिल्लै के उपन्यास पर आधारित, उनका धारावाहिक कयर ( जिसे गलती से कायर समझ लिया जाता था, इसके बारे में भी उन्होंने ही मुझे बताया था कि कयर का मतलब रस्सी होता है. )

मैं तब लोकमत समाचार के फिल्म वार्षिकांक का संयोजन कर रहा था. मुझे उन्हें देखते ही ख्याल आया कि कन्नड़ सिनेमा के बारे में उनसे बात करने का यह अच्छा अवसर है. मैं लपककर उनके पास पहुँच गया और अपना परिचय देते हुए बोला कि क्या मैं आपसे 10-15 मिनट बात कर सकता हूँ? उन्होंने मुझे गौर से देखा और पूछा कि इससे ज्यादा तो नहीं? मैंने कहा, बिल्कुल नहीं. तो मैंने कन्नड़ सिनेमा की स्थिति पर उनसे बातचीत की. थोड़ी बहुत जानकारी मुझे पहले से थी, इसलिए उन्हें कहीं भी ऐसा नहीं लगा कि वे एक अनाड़ी से बात कर रहे हैं. कुल मिलाकर बातचीत काफी अच्छी रही. लेकिन, कहानी खत्म नहीं होती.

वार्षिकी के लिए हम ‘भविष्य का सिनेमा और सिनेमा का भविष्य विषय‘ पर एक परिसंवाद भी आयोजित कर रहे थे. फेस्टिवल के अगले दिन सथ्यु जी जब मुझे दोबारा नजर आए तो मुझे लगा कि मौका चूकना नहीं चाहिए, सिनेमा के इस जीनियस से फिर पता नहीं कब बात हो या न हो. मैं फिर से उनके पास जा पहुँचा और बोला कि मुझे आपके दस-पंद्रह मिनट चाहिए. ‘आपने कल भी यही कहा था?’’ उन्होंने मुझे घूरते हुए कहा. ‘‘ मैं आज भी कल से ज्यादा समय नहीं लूँगा.’’ मैंने बेझिझक जवाब दिया और फिर से बात शुरू हो गई. आज उनका 90 वां जन्मदिन है, इस मौके पर हम उनके दीर्घायु होने की कामना करते हैं. दोनों बार की बातचीत यहाँ हाजिर है, चाहे तो आप भी पढ़ सकते हैं.

interview

       

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