Tuesday, November 8, 2011

जुमले जो बन गए जिंदगी !

हाल ही में एक विज्ञापन आया है , जिसमें एक युवक अपनी सुहागरात पर पत्नी के हाथ पर उसके पूर्व प्रेमी के नाम का टैटू देखता है. वह उसे मिटाने के लिए खूब कोशिश करता है, लेकिन नाकाम रहता है. हारकर वह एक सर्जन के पास जाता है. वह भी उसे मिटाने में अक्षमता जाहिर करता है. युवक न मसोसकर हालात से समझौता कर लेता है. लेकिन जब वह पत्नी के कंधे को अनावृत करता है, तो वहां पर उसके दूसरे प्रेमी के नाम का टैटू देखता है. तब हमें पता चलता है कि यह विज्ञापन ब्लैंक सीडी / डीवीडी का है , जो यह संदेश देना चाहती है कि उनपर दर्ज डाटा को भी मिटा पाना नामुमकिन है.

यही बात कई विज्ञापनों के बारे में भी कही जा सकती है , जो सालों से हमारे दिलोदिमाग पर कुछ ऐसे ही दर्ज हैं कि उन्हें मिटाया नहीं जा सकता. और इनमें से कई की पंचलाइनें तो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गई हैं. हमारी बोलचाल में इस तरह शामिल हो चुकी हैं, जैसे कि कभी मुहावरे और कहावतें हुआ करते थे. ऐसा सबसे पुराना जुमला जो याद किया जा सकता है, वह है विल्स सिगरेट का ’मेड फार इचअदर’ करीब तीन दशक पुरानी इस छोटी सी लाइन का इस्तेमाल आज भी अनेक मैरिड कपल , पुराने दोस्तों की सराहना के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

इसी तरह अपने आत्मविश्वास को दर्शाने के लिए एक वक़्त कभी 'कुछ खास है हम सभी में...' का प्रयोग होता था तो वक़्त के साथ कदमताल करते हुए आज 'हम में है हीरो..' का होता है. वहीं किसी की व्यंग्यात्मक प्रशंसा के लिए ' बढि़या है...सुनील बाबू’ या 'पप्पू पास हो गया..' या ऊँचे लोग,ऊँची पसंद...जैसे वाक्यों का इस्तेमाल होता है तो अपनी शैतानियों को जायज ठहराने के लिए ' पागलपंती भी ज़रूरी है ', किसी को आश्वस्त करने के लिए, '‘हम हैं ना...' हमेशा साथ का भरोसा दिलाने के लिए ' जिंदगी के साथ भी , जिंदगी के बाद भी...' खाने के बाद या शगुन के तौर पर ' कुछ मीठा हो जाए...जैसे वाक्य भी हैं , जिन्हें हम अक्सर लोगों को दोहराते सुन सकते हैं. कई पंचलाइने नसीहतों की तरह इस्तेमाल की जाती हैं , जैसे ' दिखावे पे मत जाओ, अपनी अक्ल लगाओ', 'पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें...' तो कई ख्वाहिशें जाहिर करने के लिए, जैसे की 'ये दिल मांगे मोर...' या एक से मेरा क्या होगा...' कई जुमले तो बिना उनका सन्दर्भ जाने भी, लोग बहुत उदारता और बेतकल्लुफी के साथ इस्तेमाल करते हैं. ये तो बड़ा ट्विंग है..., ये आराम का मामला है... जोर का झटका,धीरे से लगे...इसी श्रेणी में आते हैं. जिंदगी का हिस्सा बनते जुमलों की इस परंपरा में हाल ही में एयरटेल का 'जिंदगी में हरेक फ्रेंड जरूरी होता है...' भी शामिल हुआ है , जो यंगस्टर्स के बीच बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और एसएमएस व सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर काफी इस्तेमाल किया जा रहा है.

समय के साथ हर समाज अपने लिए कुछ मुहावरे गढ़ता है. कभी बातचीत में तुलसीदास , रहीम , कबीर जैसे संत कवियों के दोहे शामिल हुआ करते थे , फिर उनकी जगह किताबी मुहावरे और लोक कहावतें आईं, इसके बाद सिनेमा के डायलाग हमारी बातचीत का हिस्सा बने और आज विज्ञापनों की पंचलाइने यह भूमिका अदा कर रही हैं , जो लंबाई में छोटी , मगर अर्थों में व्यापकता की वजह से हमारी भाषा को एक नई धार दे रही हैं.

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