Monday, May 14, 2012

ये ‘अंडर’ की बात है...




वर्षों पहले रेडियो पर एक विज्ञापन लगभग रोज सुनने को मिलता था, जिसमें एक पात्र दूसरे से पूछता है कि क्या बात है, बड़े खुश नजर आ रहे हो? दूसरा जवाब देता था, ये अंदर की बात है. इस पर पहला पूछता था कि क्यों, रूपा बनियान पहन रखी है क्या? और दूसरे की हाँ में स्वीकारोक्ति और श्रोताओं को रूपा बनियान पहनने के सुझाव के साथ विज्ञापन खत्म हो जाता था. 

अब टेलीविजन, खासकर सेटेलाइट टेलीविजन के वर्चस्व से अंदर की बात पूरी तरह बाहर आ गई है. अब टेलीविजन पर अंडरगारमेंट्स के विज्ञापनों को देखना, तरह-तरह के अनुभव देता है. ये कभी हमें हंसी दिलाते हैं, कभी खिझाते हैं और कभी बुद्धू बनाते हैं.

एक विज्ञापन एक खास किस्म का बनियान पहनकर कभी आपको थिएटर की टिकट विंडो पर लगी लंबी लाइन में सबसे आगे खड़े होने का अधिकार दिलाता है और कभी ट्रैफिक पुलिसमैन को सड़क मंत्री की लाल बत्ती वाली गाड़ी को आपके रास्ते में आने से रोकने की ताकत देता है. वहीं दूसरे विज्ञापन में एक ब्रांड विशेष का बनियान पहनने वाला अभिनेता, बड़े आराम से तीन-चार गुंडों को विकलांग बना देता है, कत्ल की गुत्थी सुलझा लेता है. तो एक और विज्ञापन का नायक ‘ईव्ज टीजर्स’ के होश ठिकाने लगा देता है. एक और अंडरवियर विज्ञापन पहनने वाले को दुर्घटनाओं से बचाता है.

अब आप सोचते रहिए कि एक अंडरवियर में ऐसे कौन से तत्व होते हैं, जो पहनने वाले में इतनी ताकत भर देते हैं कि वह चार-छह खतरनाक बदमाशों से अकेले निपट सके. उसमें कौन से पवित्र मंत्र लिखे होते हैं, जो पहनने वाले को आने वाली आपदाओं से बचाते हैं. आपको इस सवाल का भी कोई गले उतरने वाला जवाब शायद ही मिले कि कपड़ों के नीचे पहनने वाली चीज की ब्रांड वैल्यू क्यों होती है और क्यों एक ब्रांड का अंडरवियर, दूसरों के मुकाबले दो से तीन गुनी कीमत वसूलता है.

इस ब्रांड को पहनने वालों का तर्क है कि यह उन्हें आत्मविश्वास से भर देता है.एक अंडरवियर का तो ब्रांड नेम ही आपको वीआईपी होने की अनुभूति देता है. इस फीलिंग के पीछे क्या लॉजिक  है, ये समझना बड़ा मुश्किल है. आप कौन से ब्रांड की शर्ट या जींस पहनकर लोगों से मिलते हैं, ये आपके स्टेटस को स्टैब्लिश करने में मददगार हो सकता है. लेकिन उस शर्ट या पैंट के नीचे आपने किस ब्रांड के अंडरवियर पहने हैं, इसका भी आपके स्टेटस से ताल्लुक है, इसे कैसे एक्सप्लेन किया जाए.

एक बड़ा दिलचस्प सवाल है कि एक सुपरमैन और  कॉमनमैन में क्या फर्क है? जवाब- कॉमन मैन अपना अंडरवियर पैंट के नीचे पहनता है और सुपरमैन पैंट के ऊपर...अगर अंडरवियर्स के एडवर्टाइजमैंट्स के एड- ऑंस  ( कॉन्फिडेंस, लक, चार्म, करेज, स्ट्रेंग्थ आदि ) पर यकीन करें तो इन्हें पैंट के अंदर पहनकर भी एक  कॉमनमैन  सुपरमैन होने की फीलिंग को एन्ज्वाय कर सकता है... और अगर पैंट पहनना भूल जाए तो भी, एक और अंडरवियर के विज्ञापन में सूखता 'ट्विंग' अंडरवियर उठाकर भागने वाले चिंपैंजी की तरह, नईनवेली हाउसवाइफ के शर्माने का आनंद तो ले ही सकता है. 

चलते-चलते...

इन दिनों अंडरवियर बम चर्चा में है. एफबीआई के सूत्रों के मुताबिक एक ब्रिटिश अंडरकवर एजेंट ‘बड़े आराम से’ कुख्यात आतंकवादी ग्रुप अलकायदा की यमन इकाई में सेंध लगाकर घुस गया और उसने अमेरिका में ‘अंडरवियर बम विस्फोट’ से विमान उड़ाने की साजिश को नाकाम कर दिया. इस घटना पर  भी तो एक और एडवर्टाइजमैंट बनाया जा सकता है ना?

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